कश्मीर Lyrics In Hindi
उर्दू के जैसा ये इश्क़ मेरा
ना समझ तू समझेगा कैसे
लिखती मैं रहती हूँ
दिन रात तुझको
पागल तू समझेगा कैसे
इतना है शोर यहाँ
इस शहर में
इश्क़ मेरा सम्भलेगा कैसे
कश्मीर जैसी जगह ले चलो न
बर्फ़ पे सिखाऊँगी प्यार तुझे
झीलों पे ऐसे उड़ेंगे साथ दोनों
इश्क़ पढ़ाऊँगी यार तुझे
Hmm.. ठंडी सी रातें पेड़ों की खुशबू
जुगनू भी करते हैं बातें वहाँ
कहते हैं जन्नत की बस्ती है वहाँ पे
सारे फ़रिश्ते रहते हैं जहाँ
बादल भी रहते हैं ऐसे वहाँ पे
सच में वो नीले हो जैसे
उस नीले रंग से मुझे भी रंग दो ना
आसमान दिखाऊँगी यार तुझे
ऐसे उड़ेंगे मिलके साथ दोनों
जन्नतें घुमाऊँगी यार तुझे
ले तो चलूँ मैं तुझको वहाँ पे
लेकिन वहाँ पे सर्दी बड़ी है
कब मैं लगाऊँगा तुझको गले
खुदा की कसम मुझे जल्दी बड़ी है
ओढ़ूंगी ऐसे मैं तुझको पिया
सर्दी मुझको सताएगी कैसे
तुझको लगाऊँगी ऐसे गले
कोई गुम हो जाता है जैसे
किस बात की देर फिर तू लगाए हैं
खुद को अब रोकूँ मैं कैसे
उस नीले पानी का चौ साफ़ झरना है
उससे पिलाऊँगा प्यार तुझे
झीलें हैं नदियाँ
ये बर्फ़ों के टीले
लाके सब दे दूँ
मैं यार तुझे
Hmm Hmm…